बाग में यदि अच्छे फल - फूल न लगवाए जाएँ और ज़मीन को ही बेकार पड़ी रहने दिया जाए तो उसमें बेकार के झाड़ - झंखाड उग ही आएँगे । यदि अवगुणों को दूर करने और सद्गुणों को लाने का निरंतर प्रयास नहीं किया जाएगा तो अवगुण बने ही रहेंगे और सद्गुण नहीं आएँगे । एक आदमी की व्यर्थ बक - बक करने की आदत है । यदि वह अपनी पुरानी आदत छोड़ता है तो वह अपने व्यर्थ बोलने के अवगुण को छोड़ता है किंतु साथ ही और अनायास ही वह मितभाषी होने के सद्गुण को अपनाता चला जाता है । दूसरे आदमी को सिगरेट पीने का अभ्यास है । वह सिगरेट पीना छोड़ता है और उसके बजाय दूध से प्रेम करना सीखता है , तो सिगरेट पीना छोड़ना एक अवगुण को छोड़ना है और दूध से प्रेम जोड़ना एक सद्गुण को अपनाना है । दोनों ही भिन्न वस्तुएँ हैं । अवगुणों को दूर करने और सद्गुणों को अपनाने के प्रयत्न में अवगुणों को दूर करने की अपेक्षा सद्गुणों को अपनाने का ही अधिक महत्त्व है । कमरे में गंदी हवा और स्वच्छ वायु एक साथ नहीं रह सकतीं । कमरे में हवा रहे ही नहीं , यह तो हो नहीं सकता । गंदी हवा को निकालने का सबसे अच्छा उपाय है कि दरवाज़े और खिड़कियाँ खोलकर स्वच्छ वायु को अंदर आने देना है । अवगुणों को भगाने का सबसे अच्छा उपाय है , सद्गुणों को अपनाना ।
जिसमें ज्यादा बोलने की आदत है , उसे उस आदत से छुटकारा पाने का क्या उपाय है ? ख ) अवगुण - सद्गुण के संदर्भ में किसका अधिक महत्व है ? क्यों ग ) कमरे की गंदी हवा को कैसे दूर किया जाए ? घ ) बाग में अच्छे फल - फूल लगवाने और झाड़ - झंखाड उगने से क्या तात्पर्य है ? ) सद्गुणों को अपनाने से क्या लाभ होगा ?